बिछड़ा जो एक तो दूजे संग सपने पिरोते हैं ! ये हुश्न वाले भी न बड़े फरेबी होते हैं !
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Tanhaai Shayari FIR UNKI RAAHE
झूठ-फरेब बदस्तूर वो करते रहे ! दिल-ओ-जान से जिनपे हम मरते रहे ! नज़रे तकने लगी हैं फिर उनकी राहें , जो तन्हाई का ज़हर मेरी ज़िंदगी में भर...
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